ARPANET क्या है? – What Is ARPANET In Hindi

अरपानेट का परिचय | Introduction of ARPANET in Hindi

हमारी दैनिक जीवन में जब हम Internet का इस्तेमाल करते हैं, तो उसमें एक बड़ा हिस्सा है जिसे हम आराम से लेन-देन कर सकते हैं, विभिन्न स्थानों से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं और दुनिया भर में संवाद (communication) कर सकते हैं। लेकिन क्या हमने कभी सोचा है कि इस सब का आदान-प्रदान कहाँ से हुआ? इसकी शुरुआत कहाँ हुई? इस बड़े संवाद का सीधा सिरा है “आरपैनेट”।

अरपानेट क्या है? | What is ARPANET in Hindi

ARPANET (Advanced Research Projects Agency Network) एक पहला और महत्वपूर्ण इंटरनेट परियोजना था जिसकी शुरुआत सन् 1969 में हुई थी। इस परियोजना का उद्देश्य अमेरिकी defense research परियोजनाओं के लिए सुगम तकनीकी संचार की व्यवस्था करना था।

ARPANET का नेटवर्क एक बड़ा और दुनिया भर में फैला हुआ था, जो विभिन्न कंप्यूटरों को आपस में जोड़ता था। इस परियोजना ने internet की शुरुआत की और इसकी बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

ARPANET में कई विशेषताएं थीं जो इसे अन्य नेटवर्क से अलग बनाती थीं, जैसे कि packet-switching तकनीक जिसमें डेटा को छोटे भागों में टुकड़ों में विभाजित किया जाता था और इसे अलग-अलग रास्तों से भेजा जाता था। इससे नेटवर्क पर ज्यादा भारी योगदान नहीं होता और सुरक्षित तरीके से डेटा को भेजा जा सकता था। ARPANET का सबसे महत्वपूर्ण योगदान यह था कि यह इंटरनेट की शुरुआत करने वाला पहला नेटवर्क था, जिससे आज के इंटरनेट का आधार बना। इसके बाद, इंटरनेट ने विश्व भर में फैलना शुरू किया और आज हम सभी इसका उपयोग कर रहे हैं।

ARPANET Full Form / ARPANET Meaning in Hindi

Advanced Research Projects Agency Network

अरपानेट का इतिहास | History of ARPANET in Hindi

ARPANET (Advanced Research Projects Agency Network) की शुरुआत 1969 में हुई थी और यह इंटरनेट की दुनिया में पहली कड़ी थी। इस परियोजना की शुरुआत संयुक्त राज्य अमेरिका के defense research projects के लिए तकनीकी संचार को सुगम बनाने के उद्देश्य से हुई थी।

अरपानेट का मूल उद्देश्य यह था कि विभिन्न स्थानों पर स्थित कंप्यूटरों को एक-दूसरे से जोड़ा जा सके ताकि वे डेटा और जानकारी को साझा कर सकें। इसने एक नई तकनीक का आविष्कार किया जिसे packet-switching कहा जाता है, जिसमें डेटा को छोटे-छोटे टुकड़ों में विभाजित कर दिया जाता है और इसे अलग-अलग रास्तों से भेजा जाता है। यह तकनीक आजकल के इंटरनेट के लिए भी महत्वपूर्ण है।

अरपानेट का पहला संचालन हुआ 1969 में, जब दो local area networks (LANs) को Los Angeles और Stanford university  में स्थापित किया गया। इससे यह दिखने लगा कि विभिन्न स्थानों के कंप्यूटर एक-दूसरे से संवाद कर सकते हैं, जो एक नए और आधुनिक संचार युग की शुरुआत कर रहा था।

इसके बाद, ARPANET का नेटवर्क तेजी से बढ़ता गया और इसमें नए-नए संगठनों, विश्वविद्यालयों, और अनुसंधान संस्थानों को जोड़ा गया। इसके साथ ही, इंटरनेट प्रोटोकॉल्स (Internet Protocols) की विकास की गई जिससे हमारे आज के इंटरनेट का नेटवर्क स्थापित हुआ।

1980 के दशक में ARPANET का अद्भूत विकास हुआ और इसने व्यापक उपयोग के लिए तैयार होने वाले नेटवर्क और कंप्यूटरों की दुनिया की नींव रखी। यह नेटवर्क नहीं सिर्फ military और अनुसंधान क्षेत्रों में सहायक था, बल्कि यह एक संपूर्ण Digital समाज की शुरुआत की ओर कदम बढ़ाया।

समय के साथ, ARPANET ने बड़े पैम्बर में विकसित होने वाले इंटरनेट को उत्पन्न किया और आज इसकी विरासत से ही हमारा मॉडर्न इंटरनेट तैयार हुआ है। इस परियोजना ने न केवल तकनीकी दृष्टि से बल्कि सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से भी हमारे दैनिक जीवन को बदला और एक नए संचार युग की शुरुआत की।

अरपानेट की विशेषताएं | Features of ARPANET in Hindi

ARPANET (Advanced Research Projects Agency Network) की कई महत्वपूर्ण विशेषताएं थीं, जिनसे इसे दुनिया के पहले सफल Internet Protocol का नेटवर्क बनाया गया। यहां कुछ ARPANET की मुख्य विशेषताएं हैं:

  • ARPANET पहला नेटवर्क था जो packet-switching तकनीक का इस्तेमाल करता था। इस तकनीक के द्वारा डेटा को छोटे-छोटे packets में विभाजित किया जाता था और यह अलग-अलग रास्तों से भेजा जाता था, जिससे नेटवर्क पर बोझ नहीं आता और तेजी से संदेश भेजा जा सकता था।
  • अरपानेट ने सुरक्षित डेटा संचार की चुनौती लेते हुए, सुरक्षितता के मामले में पहले कदम रखा। इसने सुरक्षित संदेशों के लिए encryption तकनीक का विकास किया जिससे unauthorized पहुंच से बचा जा सकता था।
  • ARPANET ने विभिन्न डेटा Protocols को विकसित किया जो अलग-अलग कंप्यूटरों और नेटवर्कों के बीच संवाद (communication) स्थापित करने में मदद करते थे।
  • अरपानेट में डेटा की सुरक्षा और उसका सुरक्षित रूप से stored करने की विशेषता थी। इसमें डेटा को बचाने और पुनर्निर्माण करने के लिए mechanisms शामिल थे।
  • अरपानेट ने विभिन्न स्थानों पर फैले कंप्यूटरों के बीच डेटा साझा करने की सुविधा प्रदान की। यह एक सहज और efficient तरीके से जानकारी साझा करने की व्यवस्था करता था।
  • अरपानेट ने नेटवर्क स्थिरता की एक मिसाल स्थापित की जिससे बड़े पैम्बर में डेटा को संबोधित करने में सक्षम था।

अरपानेट की ये विशेषताएं ने इंटरनेट की दुनिया को बदलकर रख दिया है और इसने आने वाले समय में तकनीकी और सामाजिक विकास की ओर महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया है।

ARPANET का उद्देश्य | Purpose of ARPANET in Hindi

ARPANET (Advanced Research Projects Agency Network) का मूल उद्देश्य 1969 में उसे शुरू करने में था, और यह एक बड़े स्केल पर विज्ञान, तकनीक, और सुरक्षा क्षेत्र में research  और विकास के लिए एक सुगम तकनीकी संचार नेटवर्क का स्थापना करना था। इसके पीछे कुछ मुख्य उद्देश्य थे:

  • अरपानेट की शुरुआत हुई थी ताकि अमेरिका के रक्षा अनुसंधान परियोजनाओं के लिए एक सुरक्षित तकनीकी संचार नेटवर्क हो। इससे military क्षेत्र में जानकारी को सुरक्षित रूप से साझा किया जा सकता था।
  • अरपानेट का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य था science and research को समर्थन देना। इसके माध्यम से विभिन्न विश्वविद्यालय, अनुसंधान संस्थान, और वैज्ञानिकों को संचार करने में मदद होती थी।
  • अरपानेट का उद्देश्य था विश्व भर में विभिन्न कंप्यूटरों को जोड़ना और उनके बीच संचार स्थापित करना। यह एक Supra-national communications network की दृष्टि से था।
  • अरपानेट के माध्यम से नई तकनीकों और विज्ञानिक उन्नतियों का समर्थन करने का उद्देश्य था। इसने एक ऐसे नेटवर्क की विकसन में मदद की जिससे नई तकनीकों का अध्ययन और विकास हो सकता था।
  • अरपानेट ने डेटा की सुरक्षा में भी सुधार करने का प्रयास किया, ताकि सुरक्षित रूप से जानकारी साझा की जा सके और unauthorized पहुंच से बचा जा सके।

इसके अलावा, ARPANET का उद्देश्य एक विश्वस्तरीय संचार नेटवर्क की रचना करना था, जिससे विज्ञान, तकनीक, और सुरक्षा क्षेत्रों में साझेदारी को बढ़ावा मिलता और एक बेहतर भविष्य की दिशा में कदम बढ़ाता।

ARPANET की सीमा | Limitation of ARPANET in Hindi

ARPANET के भी कुछ सीमाएं थीं जो इसकी चुनौतियों को दर्शाती हैं।

  • अरपानेट की पहली सीमा थी कि जब इसमें नए कंप्यूटर और नेटवर्क्स को जोड़ने की कोशिश की गई, तो scaling में कठिनाई हो गई। नेटवर्क को बड़ा करना और नए Users को समर्थन देना मुश्किल था।
  • अरपानेट की दूसरी चुनौती थी सुरक्षा की। इसमें सुरक्षा के लिए उपयोग होने वाले protocols कमजोर थे, जिससे नेटवर्क को सुरक्षित रखना मुश्किल हो गया।
  • ARPANET की तीसरी चुनौती थी कि उस समय की तकनीकी स्थिति ने इसे चुनौतियों का सामना करना पड़ा। Hardware और Software की पर्याप्त उपलब्धता नहीं थी, जिससे सुविधाएँ पूरी तरह से सुधारी नहीं जा सकती थीं।
  •  ARPANET में ट्रैTraffic Management की चुनौती भी थी, क्योंकि अधिक Users के साथ बढ़ते हुए डेटा Traffic ने नेटवर्क पर दबाव बढ़ाया।
  • ARPANET की पूर्णता में भी कमी थी, क्योंकि इसमें कुछ Redundant प्रणालियों की कमी थी, जिससे नेटवर्क पर गड़बड़ी हो सकती थी।
  • इसकी चुनौतियों में से एक यह था कि ARPANET को विभिन्न प्रणालियों और स्थानों पर समर्थन प्रदान करना था, जिससे विभिन्न हेटरोजीनस (heterogenous) और डाइवर्स (Diverse) Systems के साथ कार्य करना मुश्किल था।

इन सीमाओं के बावजूद, अरपानेट ने एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया और इंटरनेट की दुनिया को बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

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